आपकी सफलता में जो भी रुकावटें कहां से आती है। वो रुकावटें हमारे चित्त में कैसे घर करके जाति है उसके कारण क्या है। हमारे चित्त में घुसती यह रुकावटों के दो कारण है।
एक है हमारी भूतकाल की निष्फलता और
दूसरा है भूतकाल में किसी ने हमारे बारे में नकारात्मक कहा हो।
1) भूतकाल की निष्फलता
भूतकाल की निष्फलता ज्यादातर भूतकाल में हमारे साथ घटित कोई घटना के आभारी होता है। इसे हम विस्तृत में यह कहानी से समझते है।
हाथी अपनी सूंड से एक टन जितना वजन आसानी से ले सकता है। यह विशालकाय प्राणी की ताकत से कोई बेमत नहीं है। सही है ना ?
किन्तु आपने सर्कस के हाथी को देखा होंगा ना?
वही कद्दावर हाथी को सर्कस के तंबू के बाहर एक पतली दोरी यॉ पतली जंजीर से बांध के रखा जाता है। उसमे ताकत तो है कि अगर वो चाहे तो पेड़ को मूल से उखाड़ कर फेंक सकता है। किन्तु यहां दो फीट गहराई का यह खिटा नहीं उखाड़ सकता। वो पतली दोरी याँ पतली जंजीर को तोड़ नहीं सकता। एशा क्यों होता है?
ग्रेट, अब समझे जब हाथी बच्चा यानि मदनिया होता है तब उसे मजबूत और भारी जंजीर से बांधा जाता है। दूसरा हिस्सा मजबूत पेड़ के साथ बांधा जाता है।
अब तब बिंदास्त घूमते हुए मदनिये को ये बंधन बहुत ही जटिल लगता है। इसीलिए वो उससे छटकने ने के लिए बहुत ही मेहनत करता है। पर उसमे वो सफल नहीं हो पाता।
फिर वो कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाए । कितना ही ताकतवर क्यों ना हो जाए। अब जब भी उसके सामने खीटा दिखाई दे और वो बांधा जाए तब वो मानने लगता है कि में अब यहां से छटक नहीं पाऊंगा और अब में यहां से हिल भी नहीं पाऊंगा।
अब हद तो तब होती है कि जब खीटे। को वहा से हटाया जाता है फिर भी वो वहां पर ही रहता है। उसे आज़ादी का अनुभव होता ही नहीं। क्योंकि वो अभी भी एशा ही मानता है कि वो वहां से हिल हो नहीं सकता।
सेम इसी तरह कई स्टूडेंट्स इस हाथी की तरह होते है। वो ऐसा कोई विचार, कार्य यां परिणाम के अंदर फ़से होते है।
वो स्टूडेंट्स ने अपने आप पर थोपी हुई मर्यादाओं से बाहर आने और वहां से हटना चाहते ही नहीं है।
अगर आपके साथ भी एशा ही हो रहा है तो आपके पास जो खीटा हैं उसे उखाड़ कर फेंकने का अभी संकल्प करे। अवरोध की जंजीर को तोड़ फेंको और आप जो बन सकते हो और जैसा स्टूडेंट्स बनाना चाहते हो वैसा स्टूडेंट्स बनो।
अब वो समय आ गया है। भूतकाल में लगे हुए लेबलों को निकालकर फेंकना है। आपके भूतकाल को आप पर हावी में होने दो। वो आपको भूतकाल है सो है अब उसे आपके वर्तमान के साथ यां भविष्य के साथ जोड़ो नहीं।
2) भूतकाल में किसी ने हमारे बारे में नकारात्मक कहा।
हमे सफलता मार्ग से भटकते कारणों में से एक है कि किसी ने हमारे बारे में नकारात्मक बोला हो यां किसी ने किस बात में हमें नीचा दिखाया गया हो।
मेरे एक सेमिनार में आए स्टूडेंट्स ने मेरे साथ बात करते हुए कहा कि जब में प्राथमिक में पढ़ता था तब मेरे गणित के शिक्षक ने कहा था कि गणित में तू बहुत ठफर है। इसीलिए आज मुझे गिनती करने की क्षमता में कूजे विश्वास नहीं आता है।
दूसरे स्टूडेंट्स ने कहा कि मुझे साईकिल चलाना आती नहीं क्योंकि साईकिल शिखाने वाले ने उसे कहा था कि तुझे साईकिल।चलाना आएगा ही नहीं आज जब वो साईकिल चलाता है तब उसको उसको डर लगता है।
हम सब में ऐसी कोई ना कोई सफलता से भटकने वाली बाते होती ही है। क्योंकि किसी ने हमारे मन में उसी नकारात्मकता के बारे में भूसा भर रखा है।
तो चलो आज से हम गलत हमे मर्यादित करे ऐसी मान्यताओं को दफनाके, हमारे अंदर की आज़ादी और शक्ति का अनुभव करें।